
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात के भुज में दिए गए बयान पर पाकिस्तान की सरकार सख्त आपत्ति जताई है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर इसे “खतरनाक मिसाल” बताया और कहा कि ये भारत की तरफ से संप्रभुता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
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पीएम मोदी ने क्या कहा था?
भुज में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा, पाकिस्तान को आतंक की बीमारी से मुक्ति दिलाने के लिए वहाँ की अवाम और नौजवानों को आगे आना होगा… सुख-चैन की ज़िंदगी जियो, रोटी खाओ, वरना मेरी गोली तो है ही।
इस बयान पर तालियों की गड़गड़ाहट तो खूब हुई, लेकिन सरहद पार इसकी गूंज संसद से लेकर मीडिया तक सुनाई दी।
पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी,“यह बयान संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उस मूल सिद्धांत का उल्लंघन है, जो किसी भी देश को बल प्रयोग या उसकी धमकी से रोकता है। भारत की बयानबाज़ी क्षेत्रीय शांति को खतरे में डाल रही है।”
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारत की “बढ़ती उग्रता” पर गंभीर ध्यान देने की अपील की है।
राजनीति या रणनीति?
पीएम मोदी के इस बयान को
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एक तरफ 2024 के बाद की भारत की मजबूत विदेश नीति का प्रतीक बताया जा रहा है।
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दूसरी ओर, पाकिस्तान इसे “घुसपैठ और हमलावर सोच” करार दे रहा है।
विशेषज्ञों की मानें तो यह बयान वोट बैंक, राष्ट्रीय सुरक्षा और पड़ोसी देश को चेतावनी— इन तीनों का मिश्रण है।
क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय समुदाय?
हालांकि अब तक संयुक्त राष्ट्र या किसी बड़े देश की प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस तरह की सीधी और सार्वजनिक चेतावनियाँ अक्सर कूटनीतिक तनाव बढ़ाने का काम करती हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि भारत-पाक संबंधों में सॉफ्ट डिप्लोमेसी की जगह अब हार्ड स्टैंड ने ले ली है।
बयान सीधा, असर गहरा
प्रधानमंत्री मोदी के तंज़ ने घरेलू राजनीति में तालियां बटोरीं, लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान को बुरी तरह चुभ गया।
क्या यह सिर्फ बयान है, या फिर कूटनीति के नए दौर की शुरुआत?
आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत और पाकिस्तान की बयानबाज़ी और तीखी हो सकती है।